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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, व्यायाम का शुगर के स्तर पर 12 घंटे तक प्रभाव रहता है। जिन लोगों को डायबिटीज है, उनका नियमित रूप से व्यायाम करना उनके रक्त में शर्करा के स्तर को काबू रखने में मदद करता है, शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और यह इंसुलिन रोधी प्रवृत्ति को कम करता है। .

आंकड़ों की मानें तो डायबिटीज के मरीजों में से 80 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हृदय रोगों के कारण होती है। कई अनुसंधानों में ये बात सामने आई है कि जिन्हें डायबिटीज है, अगर वो सप्ताह में दो घंटे पैदल चलते हैं तो उनके हृदय रोगों की चपेट में आने की आशंका कम हो जाती है। लेकिन, चूंकि डायबिटीज में खून में ग्लूकोज के स्तर में उतार-चढ़ाव अधिक होता है, इसलिए व्यायाम के संबंध में विशेषज्ञों से सलाह लेना और कुछसावधानियां बरतना जरूरी है। .

जीवनशैली से जुड़ी है डायबिटीज
डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है। डायबिटीज तब होती है, जब अग्न्याशय यानी पैंक्रिअस पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या जब शरीर अग्न्याशय द्वारा स्रावित इंसुलिन का प्रभावकारी तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है। 

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इंसुलिन एक हार्मोन है, जो रक्त में शुगर को नियंत्रित रखता है। अनियंत्रित डायबिटीज के कारण रक्त में शुगर का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया कहते हैं। वहीं जब रक्त में शुगर का स्तर बहुत कम हो जाता है तो इसे हाइपोग्लाइसेमिया कहते हैं। दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए घातक हैं। चूंकि डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है, इसलिए जीवनशैली में परिवर्तन और नियमित रूप से व्यायाम करना, इसके प्रबंधन का एक प्रमुख हिस्सा है। अगर आप सक्रिय रहते हैं तो डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं और खून में शुगर के स्तर को काबू कर पाएंगे। साथ ही दूसरे रोगों से बचे रह सकते हैं। 

करें नियमित व्यायाम
व्यायाम के कईफायदे हैं। लेकिन उनमें से सबसे बड़ा फायदा है कि इससे खून में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होती है, उनके रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक होता है। उनका शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं करता है, या इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर ठीक प्रकार से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। डायबिटीज के मरीजों में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है-जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी के रोग, और तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग। अगर खून में शुगर का स्तर काबू में रहेगा तो इन जटिलताओं के विकसित होने का खतरा कम हो जाता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए व्यायाम कईतरह से असरदार साबित होता है-.

- रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है.
- रक्त दाब कम होता है.
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर नहीं बढ़ता .
- इंसुलिन का इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ना.
- स्ट्रोक और हृदय रोगों का खतरा कम होना 'मोटापे से बचाव व तनाव से राहत .

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ये सावधानियां हैं जरूरी .
- व्यायाम करते समय ग्लूकोज, खून से निकलकर मांसपेशियों तक अधिक तेजी से पहुंचता है, जिसके कारण हाइपोग्लाइसेमिया हो सकता है। जो लोग इंसुलिन या दूसरी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। .

अपने डॉक्टर से बात करें : किसी भी तरह के एक्सरसाइज प्रोग्राम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि वो आपको बता सके कि कब और कितनी देर व्यायाम करना आपके लिए ठीक रहेगा। 

ब्लड ग्लूकोज के स्तर को जांचें : व्यायाम से पहले, उसके दौरान और बाद में ख्ूान में शर्करा के स्तर की जांच करें। इससे आपको अपना व्यायाम शेड्यूल बनाने में मदद मिलेगी। 

स्ट्रेस टेस्ट : अगर आपको हृदय रोगों का खतरा है तो आप स्ट्रेस टेस्ट (आपका शरीर कितना शारीरिक श्रम सह सकता है) भी कराएं। .

अपने शरीर की सुनें : जहां भी, जब भी एक्सरसाइज करें, सतर्क रहें। अपने शरीर के संकेतों को पहचानें। ढेर सारा पानी पिएं। अपने साथ हमेशा कोई कैंडी या ग्लूकोज की टैबलेट रखें। रक्त में शुगर का स्तर कम होने पर तुरंत इसे ले लें। हमेशा मेडिकल अलर्ट करने वाला ब्रेसलेट पहनें। साथ ग्लूकोज मीटर भी रख सकते हैं। शरीर सहन कर सके, उतना ही व्यायाम करें। .

कौन से व्यायाम हैं बेहतर 
एरोबिक और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग, दोनों करें तो अधिक प्रभावी होगा। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार भी डायबिटीज के प्रबंधन के लिए एरोबिक व स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग दोनों तरह के व्यायाम करना अच्छा रहता है।.

एरोबिक एक्सरसाइज : इस तरह के एक्सरसाइज में हृदय गति बढ़ाने के लिए एक लय में हाथों और पैरों का लगातार इस्तेमाल किया जाता है। .

इसमें सम्मिलित हैं दौड़ना, भागना, नाचना, साइकिल चलाना, तेज चलना और जॉगिंग। एरोबिक्स से अग्न्याशय, हृदय और फेफड़े बेहतर तरीके से काम करते हैं। शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचती है। .

स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग : इसे रेजिस्टेंस ट्रेनिंग भी कहते हैं। यह व्यायाम शरीर को इंसुलिन के प्रति संवेदनशील बनाता है। खून में शुगर का स्तर कम करने में मदद करता है। इसे सप्ताह में दो बार करें, पर लगातार दो दिन न करें। वेट लिफ्टिंग, पुश-अप्स, लिफ्ट-अप्स, स्क्वैट, प्लांक, रेजिस्टेंस बैंड का इस्तेमाल आदि इसमें *आते हैं।.

(विशेषज्ञ: डॉ. रमन कुमार, अध्यक्ष, एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया, दिल्ली) 
(डॉ. सबिता, न्युट्रिशनिस्ट एंड डायबिटीज एजुकेटर, फ्लोरेंस हॉस्पिटल, गाजियाबाद)

कितना कारगर है योग
योग तन-मन को ठीक रखने और सेहत से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेडिकल साइंस ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कई योगासन हैं, जिनसे अग्न्याशय की बी-सेल्स अधिक बेहतर तरीके से काम करती हैं और शरीर में इंसुलिन का स्राव बेहतर होता है। .

कपालभाति :नियमित रूप से कपालभाति करने से डायबिटीज का प्रबंधन बेहतर तरीके से होता है। जमीन पर सीधे बैठ जाएं और नाक से सांस को तेजी से बाहर की ओर छोड़ें, ऐसा करते समय पेट को अंदर की तरफ खीचें। फिर तुरंत ही नाक से सांस को अंदर की ओर खीचें और पेट को बाहर निकालें। इसे रोजाना 70-100 बार करें। .

मंडूक आसन : इससे अग्न्याशय की कार्यप्रणाली दुरुस्त होती है। यह पेट और हृदय के लिए भी अच्छा आसन है। पैरों को सटाते हुए, घुटनों के बल बैठ जाएं, अपने नितंबों को एड़ियों पर टिका लें। आप दोनों हाथों की मुट्ठियां बंद कर लें। अब दोनों मुट्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकते हुए ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। थोड़ी देर इस स्थिति में रहने के बाद सीधे हो जाएं। .

धनुरासन : धनुरासन से अग्न्याशय सक्रिय होता है और इंसुलिन के स्राव में मदद मिलती है, जो रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित करने के लिए जरूरी है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज, दोनों के रोगियों के लिए ये अच्छा है।.

वृक्षासन : वृक्षासन का नाम वृक्ष शब्द से पड़ा है, क्योंकि इस आसन में पेड़ की मुद्रा में खड़े होना होता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए ये बहुत लाभदायक है।.

कुछ खास बातें
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल द्वारा प्रकाशित विशेष हेल्थ रिपोर्ट, ‘लिविंग विद डायबिटीज' के अनुसार, डायबिटीज में हर रोज व्यायाम करना फायदेमंद है, पर कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। 
- 'सप्ताह में 5 बार, 30 मिनट व्यायाम करें। डायबिटीज साइंस एंड टेक्नोलॉजी जनरल में 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जो लोग इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, अगर वो खाना खाने के पहले व्यायाम करते हैं तो रक्त में शर्करा का स्तर अधिक नहीं बढ़ता है। जो लोग इंसुलिन लेते हैं, उन्हें हाइपोग्लाइसेमिया की आशंका अधिक होती है, ऐसे लोगों का खाना खाने के 1-3 घंटे के भीतर व्यायाम करना अच्छा रहता है। आधे घंटे से अधिक एक्सरसाइज न करें, क्योंकि इससे रक्त में शुगर के स्तर में तेजी से कमी आ सकती है। आपने कभी एक्सरसाइज नहीं किया है तो शुरुआत 5-10 मिनट से करें।.

- अगर आप एक्सरसाइज न कर पाएं तो चढ़ने-उतरने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, घर की सफाई करें, बाजार में पैदल घूमकर शॉपिंग करें, बागवानी करें, बच्चों और पालतू पशुओं के साथ खेलें। 

शुगर लेवल कम होने पर ये करें
यह बहुत जरूरी है कि एक्सरसाइज करने से पहले रक्त में शुगर के स्तर की जांच करें। अगर एक्सरसाइज करने से पहले रक्त में शुगर का स्तर 100 एमजी/डीएल है, तो कोई फल या स्नैक्स ले लें, इससे रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाएगा और आप हाइपोग्लाइसेमिया से बच जाएंगे। 30 मिनट बाद फिर जांचें कि आपके रक्त में शुगर स्तर स्थिर है या नहीं। वर्कआउट के बाद भी शुगर की जांच करें। अगर आप इंसुलिन ले रहे हैं तो एक्सरसाइज के बाद हाइपोग्लाइसेमिया का रिस्क बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आपका शुगर लेवल बहुत अधिक (250 के ऊपर) हो तो भी एक्सरसाइज न करें, क्योंकि कई बार एक्सरसाइज करने से रक्त में शुगर का स्तर और बढ़ जाता है।.

तो व्यायाम बंद कर दें.
'सिर हल्का होना या चक्कर आना 
- 'हृदय की धड़कनें तेज हो जाना 
- छाती में जकड़न 'जी मिचलाना 
- 'अचानक कमजोरी महसूस होना 'सांस लेने में परेशानी होना 
- 'गंभीर थकान या उनींदापन महसूस होना।